Friday, October 24, 2008

सबप्राइम संकट क्या है ? ..........

सबप्राइम संकट आजकल सबकी जुबान पर चढा है। अमेरिका में यह शब्द इतना आम हो गया था की अमेरिका के एक संगठन 'अमेरिकी दाइलेक्त सोसायटी' ने सबप्राइम शब्द को 'वर्ड ऑफ़ द ईयर२००७' घोषित किया था । अमेरिका में सबप्राइम ऋण की एक केटेगरी है। अमेरिका में ऋण को उन पर जोखिम के आधार पर अलग - अलग केटेगरी में रखा गया है। सबसे कम जोखिम वाले ऋण 'प्राइम ऋण' कहलाते हैं। इनके डूबने की संभावना बहुत कम होती है। इससे अधिक जोखिम वाले ऋण 'अल्ट ऋण' कहलाते हैं। सबसे अधिक जोखिम वाले ऋणों को 'सबप्राइम ऋण' कहा जाता है। इनकी ब्याज दरें ऊँची होती हैं। कर्जदाता इन ऋणों को देते समय ऋण क्रेताओं का ज्यादा रिकोर्ड नही देखते। कोई चीज बंधक रखकर दे देते है। इसके अंतर्गत ही अमेरिका के निवेशक बैंकों ने जमकर ऋण दिए। यह दौर तब शुरू हुआ जब अमेरिका में 'हाऊसिंग बूम' आया था यानी आवास के मूल्य आसमान छु रहे थे। इस स्थिति में घरों के मालिक अपने घरों को गिरवी रखकर ऋण ले सकते थे। चूँकि घर बनाने में पाँचों उंगली घी में नजर आ रही थी लोग ऋण लेकर घर बनाते थे और इससे अच्छा मुनाफा कमाते थे। हाऊसिंग बूम की स्थिति में बैंकों को भी फायदा ही फायदा था। ऋण लेने वाले ऋण नही भी चुका पाते तो भी बैंक उनके गिरवी घर बेचकर अपना रुपया वसूल लेते थे। इस प्रकार ऋण लेने वालों की संख्या लगातार बढ़ती गयी। २००५ तक बैंक ६३५ अरब डॉलर का ऋण दे चुके । २००७ तक ये १० ख़राब डॉलर तक पहुँच गए।

जैसा की इन ऋणों की ब्याज दरें बाजार पर निर्भर थी जैसे - जैसे ऋण लेने वालों की संख्या में वृद्धी होती गई ब्याज दरें भी बढ़ती गई । लेकिन माग पूर्ति के नियमानुसार घरों के अन्धाधून्द निर्माण से घरों की कीमतों में कमी आ गई । घरों की मांग कम होती गई । इस प्रकार घरों को बेचना कठिन होता गया या घरों के मालिक मामूली कीमतों पर घर बेचने को मजबूर होते गए। इस स्तिथि में ऋण लेने वाले ऋण चुकाने में असमर्थ हो गए । चूंकि ये ऋण घर गिरवी रखकर लिए गए थे इसलिए वे पुराना घर भी नही बेच सकते थेपरिणामस्वरूप अमेरिका में बैंक दिफोल्टरों की संख्या बढ़ती गई । अन्तत इसका नुक्सान बैंकों को ही हुआ । घरों की कीमत घट जाने के कारण अब बैंक घरों को बेचकर अपना रूपया भी नही वसूल सकते थे । इस प्रकार हाऊसिंग उद्योग ४-५ वर्षों तक अमेरिकी अर्थव्यस्था का केन्द्र बना रहा २००६ से सबप्राइम संकट प्रारम्भ हुआ । १०० से अधिक ऋण दाता संस्थानो ने अपने को दिवालिया घोषित करने की अर्जी दे डाली। अनेरिका के बुद्धिजीवियों और मीडिया के एक हिस्से ने इस संकट की और बार -बार संकेत किया लेकिन सरकार ने इसे गंभीरता से नही लिया। १५ अगस्त २००७ को सब प्राइम ऋण पूरी तरह धराशायी हो गए। आज आते -आते स्थिति यह हो गयी है की अमेरिका के निवेशक बैंक दिवालिये हो गए हैं। अमेरिका की गलत नीतियों के परिणाम अब पूरी दुनिया भुगत रही है।

2 comments:

Rakesh Kaushik said...

thnx for the information it's really shocking to know how this situation comes.

ab lagta hai ke agle 4-5 saal lag jayenge market ko fir se khda hone par. kyonki kal to market 8600 par band hua tha????


Rakesh Kaushik

share market said...

Good