Thursday, October 16, 2008

........लेकिन धनी भिखारी बड़े कंजूस होते है।

छंटनी ........ छंटनी .....
एयरलाइंस में यात्रा करते सवारियों को मुस्कराकर लजीज व्यंजन परोसने वाली एयरहोसतेजस के मुरझाये हुए हुए चेहरे आज सभी समाचार पत्रों में प्राकशित हैं। इनके चेहोरो पर मजबूत भारतीय अर्थव्यस्था का प्रतिबिम्ब स्पष्ट दिखायी दे रहा है। २०२० तक विकसित भारत का सपना देख रही इन सैकडों बालाओं को कल जेट एयरवेज ने कह दिया की ''अब आप हमारी कंपनी के लिए अतिरिक्त जनसँख्या हैं''कंपनी के मालिक नरेश गोयल हाल ही में किंगफिशर के मालिक और राज्यसभा संसद विजय माल्या जी के दोस्त बने है। यहाँ में माल्या जी का नाम इसलिए घसीट रहा हूँ क्योंकि में उन्हें हमेशा ही सुंदर - सुंदर बालाओं के साथ चित्र खिंचाते हुए देखता हूँ लेकिन आज उनके ही उद्योग से जुड़ीं लड़कियों के इर्दगिर्द नही दिखाई दिए। बल्कि गोयल जी ने माल्या जी से दोस्ती करते ही सैकडों लोगों को रोजगार से निकाल दिया।
अब सीधे - सीधे पते की बात पर आया जाए। जेट ने १९०० कर्मचारियों को नोकरी से निकाल दिया है। हाल ही में किंगफिशर ने भी ३०० कर्मचारियों को नोकरी से निकाला था। कंपनी का कहना है की मंदी के कारण उसे ऐसा फ़ैसला लेना पड़ रहा है। जैसा की आप लोग जानते है हमारे देश के उद्योगपति एक किस्म के समाज सेवक भी हैं समाज सेवक होने के नाते उनका कहना है की शेष १११०० कर्मचारियों की नोकरी बचाने के लिए हमने ऐसा किया। कितनी चिंता है इनको लोगों की ! संकट में भी कर्मचारियों का खियाल ! दूसरी और नागरिक उड्डयन मंत्री जो जनता के वोटों से चुने गए इस छटनी पर हक्षतेप करने से साफ़ इनकार कर दिया है। साथ में नरेश गोयल जी और विजय माल्या जी को संकट से उभारने के लिए ५००० करोड़ के बेलाउट का प्रस्ताव दे दिया है। कैसी विडम्बना है हमारे लोकतंत्र की।
खैर में अपनी बात पर आता हूँ । पहली बात तो सरकार को सीधे - सीधे छंटनी पर हक्षतेप करना चाहिए। यदि सरकार छंटनी रोकने में असफल होती है तो बेलआउट कर्मचारियों के लिए दिया जाना चाहिए। करमचारियों को पुनः रोजगार मिलने तक उनकी आजीविका की व्यस्था सरकार को करनी चाहिए। लेकिन सरकार उल्टा उन लोगों को रूपया दे रही है जो लोगों का रोजगार छीन रहे है और जिनके पास पहले से ही अरबों रूपया है। उद्योग जगत इस प्रस्ताव का स्वागत कर रहा है। कैसा दोगला है यह उद्योग जगत एक तरफ़ खुले बाजार और सरकार के हक्षतेप को कम करने की बात करता है दूसरी तरफ़ स्वयं के लिए सरकार से करोड़ों के आर्थिक पॅकेज की मांग समय - समय पर करता है। थोड़ी देर के लिए मान लिया जाए की एयरलाइंस घाटे में चल रहे हो लेकिन अन्य बिजनेस में तो ये पैसा ही पैसा कम रहे हैं। उदहारण के लिए माल्या जी लोगों को शराब पिला - पिला कर करोड़ों कमा रहे हैं। हाँ यदि अपने आकलन से ज्यादा कमाने पर इन्होने अपनी अतिरिक्त इनकम सरकार को दी होती तो इस पर सोचा जा सकता था। लेकिन धनी भिखारी बड़े कंजूस होते है। लोकतंत्र में हजारों लोगों की कीमत पर कुछ लोगों को बेलआउट देना शर्मनाक ही नही अक्षम्य अपराध है। इसलिए बेलआउट कंपनियों को नही आम लोगों को दिया जाना चाहिए। बेलआउट नरेश गोयल या विजय माल्या के लिए नही बल्कि उन एयरहोस्टेज के लिए दिया जाए जिन के मुरझाते चेहरे अखबार में प्रकाशित हैं ताकि उनकी मुस्कराहट वापस आ सके।
हेमंत

2 comments:

PD said...

क्या कहें हम.. हमारा तो यह कहना है कि साफ्टवेयर कंपनियां हर दिन हजारों में निकाल बाहर कर रही है.. अभी तक उस पर किसी ने हो हल्ला क्यों नहीं मचाया?

Shipra said...

This is very good point highlighted by you. I am very delighted to see that you noticed and expressed every point very well. ofcourse, bailout should be provided to the airhostesses and not to the rich beggar :)