Saturday, October 25, 2008

साध्वी की गिरफ्तारी मीडिया की लीड क्यों नही बनी ?

मालेगाँव धमाकों के लिए हिंदू संगठन से जुड़े ३ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें एक साध्वी प्रज्ञा सिंह है। इनकी गिरफ्तारी ने एक नई बहस को जन्म दिया है। ये आतंकवादी हैं, देश भक्त या हिंदू हितेषी यह तो वक़्त बताएगा। यहाँ मेरी चर्चा का विषय है मीडिया। सुबह उठा तो यही सोचा था की आज समाचार पत्र इसी ख़बर से भरे होंगे। तीनों आतंकवादियों की फोटो छपी होगी। (माफ़ करें कथित आतंकवादी) जैसा की मीडिया की आदत है बगेर फोटो के भी आतंकवादियों की फोटो छाप ही देते हैं। खोजी पत्रकारों ने इनके तार जुड़े होने की पड़ताल की होगी , जैसा की हर बार धमाकों के लिए जिम्मेदार लोगों के पकड़े जाने के बाद ये देश विदेश से उनके तार जुड़े होने की पड़ताल करते है। सोचा था तार जोड़े होंगे नागपुर से गाँधी नगर आदि आदि स्थानों से। ख़बर के बगल में भविष्यतम प्रधानमंत्री आडवानी जी का बयान छपा होगा ' देश को पोटा की सख्त जरुरत ' । सोचा था पोटा तो है नही इन पर देशद्रोह का मुकदमा लगाया गया होगा।
सबसे पहले देखा नव भारत टाइम्स उसके प्रथम प्रष्ट पर से ख़बर ही गायब थी। टाइम्स आफ इंडिया उठाया उसमें छोटी सी ख़बर थी। जनसत्ता में भी ऐसा ही था। ख़बर को पढ़ा तो पत्रकारिता के नियमों का पुरा पालन किया गया था । कथित शब्द का इस्तेमाल था। फ़िर सोचा उन समाचार पत्रों को देखा जाए जो देश के बारे में ज्यादा चिंतित रहते हैं। कम्पूटर पर बैठा। दैनिक जागरण खोला वहां भी आतंकवाद गायब था। सोचा ख़बर राष्ट्रिय महत्व की नही है। चला महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के अखबार देखने। वहां भी यह लीड नही थी।
कितना अजीब है कुछ समय पहले तक देश के प्रधानमंत्री से लेकर नगर पालिका परिषद् के पार्षद तक बम धमाकों यानि आतंकवाद को देश के लिए सबसे बढ़ा शत्रु कह रहे थे। मीडिया भी इनके सुर में सुर मिला रहा था । क्या गैर हिन्दुओं द्वारा किए गए बम विस्फोट ही देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक होते हैं

4 comments:

फ़िरदौस ख़ान said...

कितने नासमझ हैं आप...

Himwant said...

अंततः जो डर था वही हो रहा है। ईस्लामी आतंकवाद तथा चर्च नियोजित साम्राज्यवाद से तंग आ कर हिन्दु युवाओ ने हथियार उठा ही लिए। भगवान उन्हे सदबुद्धि दें। हिंसा को हिन्दु मानस आज तक अस्वीकार करता आया है तो फिर हथियार उठाने की बातें क्यो ? साध्वी को हिंसा का मार्ग त्यागना चाहिए।

Manish Kumar said...

sahi masla uthaya aapne

roushan said...

शायद राष्ट्रहित की सबकी अपनी परिभाषा होती है.
ये वर्ड वेरिफिकेशन हटा देन तो अच्छा लगेगा