मुझे यह लिखते हुए बढ़ा हर्ष हो रहा है की मेरे पिछले पोस्ट "हिन्दुओं ने किया अपनी देवी से गैंग रैप" पर आए उमेश जी और कॉम्मन मेन के कमेन्ट ने मुझे सोचने की एक नयी द्रष्टि दी है। मैं सेकुलरिस्म और मानवीयता के चक्कर में अपना धर्म भूल गया था। खैर देर से ही सही मेरी आँखे खुली और इसमें कोई शक नही की इसका श्रेय इन दोनों महान विभूतियों को ही जाता है। जहाँ इसाई विदेशी धन से सीधे साधे, भोले भाले हिदुओं का धरम परिवर्तन कर रहे हैं वही मुस्लिम आतंकवादी हमारे राष्ट्र को बम ब्लास्ट कर kamjor कर रहे हैं। हमारी उदारता को इन लोगों ने हमारी कमजोरी मान लिया है। यही कारन है की पहले हमें मुस्लिमों ने फ़िर ब्रिटिश ईसाईयों ने गुलाम बनाया। कॉम्मन मेन ने सही ही याद दिलाया है की औरंगजेब ने कितने निर्दोष हिन्दुओं के सर काटे। यह याद कर के ही मेरा शरीर कांप रहा है। सोचो तब हमारे पूर्वजों ने कैसे दिन बिताये होंगे। आप दोनों सही कहते हैं हमें बदला लेना ही होगा भारत माता हमें पुकार रही है हमारे भगवान् हमारे पुकार रहे हैं बचाओ - बचाओ हिन्दुओं का अस्तित्व बचाओ हिन्दुओं के भगवान् का अस्तित्व बचाओ हम आज नही जागेतो आने वाली पीढी माफ़ नही करेगी।
बंधू आज से मैं भी आपके साथ हूँ। अब हम ब्याज सहित बदला चुकायेंगे। हाँ - हाँ चक्रब्रधी ब्याज सहित। इतिहास में हुए सारे अत्याचारों का हिसाब अब हमें चुका ही देना चाहिए। मैं कुछ और अत्याचार आपको याद दिलाना चाहूँगा, वैसे आप शायद जानते ही होंगे, फ़िर भी क्योंकि अत्याचारों का बदला लेने की आपकी मुहीम में भी अब शामिल हो ही चुका हूँ तो यह मेरा दायित्व बनता है। औरंगजेब तो हिन्दुस्तान में बहुत बाद में आया उससे पहले भी हमारा इतिहास रहा है। हिन्दुओं का गौरवमाय इतिहास। हाथों हाथ हमें यह भी निपटा देना चाहिए। में बात कर रहा हूँ दलितों और महिलाओं पर अत्याचार की। हमें बंगाल और राजस्थान में सती प्रथा के अंतर्गत जलाई गयी महिलाओं की सूची बनानी चाहिए। जितनी हिंदू महिलाएं जलाई गयीं अब हमें उतने ही हिंदू पुरुषों को jalaana चाहिए। हमें हिन्दुस्तान में हुए दलित अत्याचार की सूची बनानी चाहिए और जहाँ - जहाँ दलितों पर अत्याचार हुए वहां - वहां अब सवर्णों से बदला लेना चाहिए। जहाँ दलितों पर kore मारे गए अब वहां सवर्ण को मार कर जहाँ दलितों की हत्या की गयी .........शायद आप मेरी बात समझ गए होंगे। मेरे कहने का मतलब हमें बदला लेना पीछे से बिल्कुल पीछे से प्रारम्भ करना चाहिए। मुझे उम्मीद है इस सब में आप मेरा साथ अवस्य लेंगे मैं ऐसे पुन्य कार्य में जीवन भर आप के साथ हूँ। आप ने मेरे ब्लॉग पर कमेन्ट कर मेरा ज्ञान वर्धन किया मैं आपका बहुत - आभारी हूँ। आशा है आप आगे भी मुझे ज्ञान देते रहें।
2 comments:
vaastav men aapko hona hi chahiye, agar nahin ho sakte to meri 6october ki post ko padhne ke baad dobara likhiyega
आतंकवाद और अत्याचार का कोई धर्म नही होता,अगर आप धर्म विशेष को किसी आतंक से जोडते है तो मुझे नही लगता की अनेकता में एकता और वसुधैव कुटूम्बकम की धारणा भारत देश के लिए सही है
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