Sunday, October 19, 2008

करोड़ों का सरकारी भुगतान नही किया निजी विमानन कंपनियों

हमारे देश में लोकतंत्र है। कानून की नजर में सब समान हैं। सभी को एक वोट देने का अधिकार है। सभी के लिए सरकार के एक ही नियम हें राजा हो या रंक। क्या सच में ऐसा है ? देश की सरकारी तेल कम्पनियाँ बार बार घाटे का हवाला देकर तेल की कीमत बढ़ातीं है या सब्सिडी समाप्त करने की बात करती हैं। क्या आपने किसी पैट्रोल पम्प पर जाकर कभी उधार तेल खरीदा है ? शायद नहीं। लेकिन हमारी तेल कंपनियाँ किंगफिशर जैसे कुछ लोगों कों बगैर भुगतान के ईंधन उपलब्ध कराती है।

घाटे में चल रही सार्वजनिक तेल कंपनियों को निजी विमानन कंपनियों ने १,१०,000 करोड़ उपाए का भुगतान करना है।

किंगफिशर ने ही ८३९ करोड़ रूपये भुगतान करना है।
इसमें इंडियन आयल का १०० करोड़ , हिन्दुस्तान पेट्रोलियम का ४५० करोड़ और भारत पेट्रोलियम का २८९ करोड़ का बकाया शामिल है ।
jet एयरवेज ने ४४६ करोड़ रूपये भुगतान करना है।

इससे अनुमान लगाया जा सकता है की हमारे सार्वजनिक संस्थान घाटे में क्यों जा रहे हैं।

जैसा की ये कम्पनियाँ अब घाटे का रोना रो रही हैं कहा जा सकता है की सरकार इनकी ये बकाया राशिः माफ़ कर देगी। है न शर्मनाक तथ्य। क्या लोकतंत्र में कुछ लोगों को विशेषाधिकार प्राप्त होना चाहिए । आप कहेंगे नही पर ऐसा हो क्यों रहा है ?

4 comments:

Rakesh Kaushik said...

u r absolutaly right. this is really rediculous?
some powerfull persons handle the govrt. all the way? n we genral people suffers?

but how can we stop this bcoz "this govt is the super power of our contry n these few people r the driver?


Rakesh Kaushik

Unknown said...

जिस प्रकार अमेरिका में लुटेरी बैंकों और औकात न होने के बावजूद कर्जा लेने वालों के लिये समूची दुनिया अपना माल लुटाये जा रही है, ठीक वही स्थिति यहाँ भी है जहाँ कर्जदारों से सख्ती से वसूली करने की बजाय उन्हें सुविधायें दी जा रही हैं, अमीरों को मुफ़्त जमीनें मिल रही हैं और किसानों को कर्जमाफ़ी, मरेगा तो मध्यमवर्ग का व्यक्ति… भारत में भी यह अलिखित कानून होता जा रहा है कि आप जी भरकर कानून तोड़ो कुछ नहीं होगा, शर्त बस इतनी सी है कि जो भी करो "बड़ा" करो, आयकर चोरी बड़े धन की करो, अतिक्रमण बड़ी जगह पर करो, बिजली चोरी लाखों में करो, टेलीफ़ोन का बिल लाखों का ना भरो… सब-सब-सब भारत सरकार माफ़ कर देगी क्योंकि उसकी ताकत ही नहीं है कि वह इनसे वसूल कर सके… क्योंकि इन डाकुओं के रहनुमा तो संसद में बैठे हैं…

फ़िरदौस ख़ान said...

सही कहा है आपने...बधाई...लिखते रहें...

दीपक कुमार भानरे said...

सरकार इनकी ये बकाया राशिः माफ़ कर देगी। और यह भी सुना जा रहा है की सरकार इन्हे घाटे से उबारने के लिए जनता की खून पसीने की कमाई से प्राप्त धन से उन्हें मदद भी करने की सोच रही है .