तहलका का हिन्दी संस्करण बाजार में आ गया है। लंबे समय से इन्तजार था। बाजार में एक अच्छी हिन्दी पत्रिका की कमी थी। पत्रिका ८४ पेज की है। कीमत २० रूपये। थोड़ा ज्यादा है ना ? कवर स्टोरी में नानावती रिपोर्ट की चीर फाड़ है। पहला पेज पलटते ही मुंबई के नए गुंडे की फोटो है। रा.........ज का इंटरव्यू है। उसे हिटलर के विकास का तरीका पसंद है। भाई साहब इंटरव्यू आधा ही देकर चले गए। तरुण जी ने सम्पादकीय में अपने कारनामे (कारनामे ही तो हुए न !) गिनाये हैं । शीर्षक है 'किश्ती नई सफर वही '। तरुण जी ने अच्छी पत्रिका के प्रकाशन के लिए पाठकों का सहयोग सर्वोपरि बताया है। उनका मन्ना है ''हिन्दी पाठक जमीनी, सरोकारी, सतर्क और सक्रीय होते है'' । अरुंधती रॉय के इंटरव्यू के बगैर पहला अंक निकले आपको अच्छा नही लगेगा । जी हाँ उनका इंटरव्यू भी है। बॉलीवुड भी है लेकिन नए अंदाज में केटरीना कैफ से मुखातिब हुआ जा सकता है। अन्तिम पेज जरूर पढियेगा। व्यक्तिगत जीवन में लोकतान्त्रिक कैसे हुआ जा सकता इसका ज्ञान मिलेगा। कंटेंट पर ज्यादा नही लिखूंगा। आपके रूपये भी तो खर्च करवाने हैं ।
पत्रिका में २१ पेज विज्ञापन हैं । पत्रिका साज सज्जा में भी अच्छी है। बस कीमत थोड़ा कम होती तो अच्छा होता है। पत्रिका विक्रेता भी कह रहा था कीमत कम राखी होती तो अच्छा था। तरुण जी को समझना चाहिए था कि हिन्दी पाठक जमीनी होता है इसलिए उसके पास रोकडा पानी कम ही होता है। कीमत कम हो सके तो की जानी चाहिए। खैर हिन्दी पाठक सरोकारी भी होता है इसलिए खरीद ही लेगा। अंत में तहलका हिन्दी में उपलब्ध कराने के लिए तहलका टीम को धन्यवाद ..........................
हेमंत
3 comments:
कवर स्टोरी में नानावती रिपोर्ट की चीर फाड़ है...
और हो भी क्या सकता है? एक रटी रटाई लीक है जिसे पीटते रहेंगे.
अच्छी जानकारी दी है...तहलका सच सामने लाता है...
यानि अब झूठी कहानिया पढने के लिए अंग्रेजी सीखने की भी जरूरत नहीं
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