मैं बारबार इस सवाल को उठाता आया हूं कि कब हमारे देष में स्वाधीनता दिवस, 15 अगस्त और गणतंत्र दिवस, 26 जनवरी जैसे महत्वपूर्ण दिन लोग स्वयस्फूर्त रुप से धूमधाम से मनाऐगें। कब दीपावली, दशहरा, ईद या क्रिसमस डे के बराबर इन राष्ट्रीय पर्वो को तवज्जो दी जाएगी। कल ही का गणतंत्र देख लीजिए। मेरे मोबाइल पर पहली जनवरी से लेकर दीपावली तक में शुभकामना संदेषों से इनबाक्स फूल हो जाता है। एक दिन पहले से ही संदेष आने लगते हैं। पर कल गणतंत्र दिवस का दिन जाते जाते महज दो ही संदेष मिले वह भी मेरे भेजे सेदेषों का प्रत्युत्तर था।
हकीकत में देष में राष्ट्रीय पर्व सरकारी खानापूंिर्त भर रह गए हैं। लोगों के लिए इन दिवसों का महत्व इतना है कि एक अवकाश का दिन बड़ जाता है। देष में कोई त्यौहार ऐसा नहीं होता। जिनमें पूरा परिवार हर्षोउल्लास से न भरा रहता हो। पकवान न बनते हों। पर 15 अगस्त और 26 जनवरी आते हैं और चले जाते हैं।
अगर हम देष को प्रगति के पथ पर ले जाना चाहते हैं, आधुनिक देष बनना चाहते हैं, तो इस महत्वपूर्ण सवाल पर गौर करना जरूरी है। दीपावली, ईद, क्रिसमस डे और गुरू पर्व हमें हिंदु, मुसलमान, सिक्ख और ईसाइ होने का अहसास कराते हैं। लेकिन राष्ट्रीय पर्व हम को भारतीयता का अहसास कराते हैं। अब समय आ गया है कि हम अपने रीति रिवाजों, संस्कारों को नये ढांचे मे ढालें। पर यह कैसे होगा...................................................................?
मेरे एक मित्र ने एक सवाल किया है। गणतंत्र या गणमान्यतंत्र...........?
हकीकत में देष में राष्ट्रीय पर्व सरकारी खानापूंिर्त भर रह गए हैं। लोगों के लिए इन दिवसों का महत्व इतना है कि एक अवकाश का दिन बड़ जाता है। देष में कोई त्यौहार ऐसा नहीं होता। जिनमें पूरा परिवार हर्षोउल्लास से न भरा रहता हो। पकवान न बनते हों। पर 15 अगस्त और 26 जनवरी आते हैं और चले जाते हैं।
अगर हम देष को प्रगति के पथ पर ले जाना चाहते हैं, आधुनिक देष बनना चाहते हैं, तो इस महत्वपूर्ण सवाल पर गौर करना जरूरी है। दीपावली, ईद, क्रिसमस डे और गुरू पर्व हमें हिंदु, मुसलमान, सिक्ख और ईसाइ होने का अहसास कराते हैं। लेकिन राष्ट्रीय पर्व हम को भारतीयता का अहसास कराते हैं। अब समय आ गया है कि हम अपने रीति रिवाजों, संस्कारों को नये ढांचे मे ढालें। पर यह कैसे होगा...................................................................?
मेरे एक मित्र ने एक सवाल किया है। गणतंत्र या गणमान्यतंत्र...........?
2 comments:
ise aap 'GUN' TANTRA bhi kah sakate he.
sach kahte he aap ki ise hamne tyohaar ke roop me kabhi nahi liya.
हमारे कर्णधार आज तक इस बात को जन जन तक नही पहुँचा सके क्योंकि वो खुद इसको बस खानापूर्ति ही समझते हैं ......... राष्ट्र की भावना को अभी तक इन दोनो दिनों के साथ नही जुड़ पाई है ........
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