Friday, January 22, 2010

अपनी जमीन में बेगाने मूल निवासी


संयुक्त राष्ट्रसंघ की १४ जनवरी को जारी "दुनिया के देशज लोगों (मूल निवासी) की स्थिति २०१०" रिपोर्ट मूल निवासियों की पीड़ाजनक स्थिति को विस्तार से बताती है। मूल निवासी पूरी दुनिया में गंभीर भेदभाव के शिकार हैं। इनमें गरीबी और अशिक्षा सबसे ज्यादा है। दुनिया में इनकी आबादी ३७ करोड़ है जो कुल आबादी का ५ प्रतिशत है लेकिन दुनिया के गरीबों में इनका हिस्सा १५ प्रतिशत है। दुनिया के ९० करोड़ सर्वाधिक गरीबों में से लगभग एक तिहाई देशज लोग हैं। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के २० प्रतिशत भूभाग में फैले देशज लोग लगभग ५००० विभिन्न संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

दुनिया में चल रही शिक्षा व्यवस्था इनकी संस्कृति और भाषा के प्रति सम्मानजनक नजरिया नहीं रखती। परिणाम यह है कि दुनिया में ऐसे शिक्षकों का अभाव है जो इनकी भाषा को जानते हैं। इससे आगामी सौ सालों में जहां इनकी ९० प्रतिशत भाषाओं के खत्म हो जाने की आशंका है, वहीं इनकी भाषा के शिक्षक न मिलना देशज बच्चों की शिक्षा में सबसे बड़ी बाधा बनकर सामने आ रही है। गरीबी के कारण अधिकांश बच्चे भूखे, बीमार और थके-हारे ही स्कूल जाते हैं। शायद ही कोई बच्चा हो जिसे शिक्षक डराते न हों। इन बच्चों के खिलाफ स्कूल में शारीरिक दंड का उपयोग आम बात है। ग्वाटेमाला में तो १५ से १९ साल के आधे से अधिक किशोर ऐसे पाए गए जिन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी नहीं की थी।

स्वास्थ्य के मामले में इनकी स्थिति और भी खराब है। ५० प्रतिशत वयस्क देशज मधुमेह की बीमारी से ग्रसित हैं। गरीबी के कारण कुपोषण से लेकर क्षयरोग, एड्स जैसी जानलेवा बीमारी के सर्वाधिक मामले इन्हीं समुदाय में पाए जाते हैं परंतु इलाज का उचित प्रबंध न होने से जच्चा-बच्चा से लेकर आम मृत्युदर भी इनमें ज्यादा है। परिणामस्वरूप इनकी जीवन प्रत्याशा दर औसत दर से २० साल तक कम है।

नई विकास योजनाएं और नई तकनीक का इस्तेमाल जैसे बांधों का निर्माण, खेती में आधुनिक बीज, खाद और कीटनाशक आदि का उपयोग इन्हें अपनी जमीन व संस्कृति से बड़े पैमाने पर बेदखल कर रहा है। कहने को लगभग सभी देशों ने इनके जमीन के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाए हैं, जो कागजों तक ही सीमित रहते हैं। जहां इन्हें विकास योजनाओं के नाम पर अपनी जमीन से बेदखल किया जा रहा है वहीं इनका मानवाधिकार हनन सबसे बड़ी चिंता का विषय है।


2 comments:

sanjeev said...

bahut hi gyan vardhak aur aankhe kholne wali jaankari.

mah tak pahuchane ke liye dhanyawaad.

sanjeev said...

maaf kijiyega....
ham tak pahuchane ke liye dhanyawaad...
likhna chahata tha.