Saturday, January 2, 2010

ईश-निंदा के क़ानून को चुनौती

आयरलैंड में नास्तिकों के एक समूह ने अपनी वेबसाइट पर धर्म-विरोधी टिप्पणियाँ छापकर कर ईश-निंदा के नए क़ानून को चुनौती दी है.

'ऐथीस्ट आयरलैंड' नामक संस्था का कहना है कि वो किसी भी कार्रवाई के ख़िलाफ़ अदालती लड़ाई लड़ने को तैयार है.

वेबसाइट पर जिन टिप्पणियों को प्रकाशित किया गया है उनमें मार्क ट्वेन और सलमान रुश्दी जैसे लेखकों के शब्दों के साथ-साथ ईसा मसीह, पैग़ंबर मोहम्मद और पोप बेनेडिक्ट-16वें के शब्द भी हैं. वेबसाइट पर 25 टिप्पणियाँ प्रकाशित की गई हैं.

नए क़ानून के तहत ईश-निंदा को अपराध की श्रेणी में रखा गया है और इसके दोषी को 35 हज़ार डॉलर तक का जुर्माना हो सकता है.

सरकार का कहना है कि नए क़ानून की आवश्यकता इसलिए थी क्योंकि संविधान के मुताबिक़ केवल ईसाई मज़बह को ही क़ानूनी संरक्षण प्राप्त था.

नया विधेयक जुलाई 2009 में पारित हुआ था और यह एक जनवरी को लागू हो गया है.

'धर्मनिरपेक्ष संविधान की कोशिश'

ऐथीस्ट आयरलैंड ने अपने अभियान के बारे में कहा कि उसका मक़सद है कि नए क़ानून को हटाकर एक 'सेकुलर' यानी धर्मनिरपेक्ष संविधान अपनाया जाए.

लंदन स्थित गार्डियन समाचारपत्र के अनुसार ऐथिस्ट आयरेलैंड के अध्यक्ष माइकल नगेंट का कहना है कि यदि उन पर ईश-निंदा का आरोप लगाया जाता है तो वो नए क़ानून को अदालत में चुनौती देंगे.

नगेंट ने कहा, "ये नया क़ानून हास्यास्पद और ख़तरनाक है."

नगेंट के अनुसार ये हास्यास्पद इसलिए है क्योंकि इस आधुनिक समय में मध्यकालीन धार्मिक क़ानूनों के लिए कोई जगह नहीं है.

उनका मानना है कि फ़ौजदारी क़ानून लोगों की रक्षा कर सकता है, लेकिन विचारों की रक्षा नहीं कर सकता.

ऐथीस्ट आयरलैंड का कहना है कि नए क़ानून के विरोध में वो अपना अभियान चलाने के लिए देश भर में जलसे-जुलूस करेंगे।

स्रोत : bbchindi

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