न्यायालय ने यह फ़ैसला सोमवार को इस मामले में सुनवाई के बाद सुनाया जो मीडिया के दबाव के बाद दायर हुए थे ।
इन मामलों में राठौर ने अग्रिम ज़मानत के लिए पंचकूला की एक अदालत में याचिका दायर की थी जिसे ख़ारिज़ कर दिया गया था.
राठौर के पंचकूला अदालत के फ़ैसले के बाद उच्च न्यायालय में अपील की थी।
ये मामले रुचिका के भाई आशू की हत्या के प्रयास, ग़लत सबूत रखने और रुचिका की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से छेड़छाड़ करने के हैं.
इसके अलावा रुचिका को आत्महत्या के लिए उकसाने संबंधी एक और एफआईआर दर्ज़ की गई है लेकिन उस पर फिलहाल कार्रवाई शुरु नहीं हुई है।
कुल मिलकर राठौर के पास अभी मुस्कराने के दिन और बचे हैं।
2 comments:
कहावत याद आ गयी .......... अँधा बाँटे रेवड़ी, मुड़ मुड़ अपने दे .........
besharm aadamee to vaise bhee haMsataa hee rahataa hai dhanyavaad
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