इन दिनों देश के आलू उत्पादक संकट में हैं। बीते साल किसानों को आलू के अच्छे दाम मिले थे। इस साल भी अच्छी कीमत मिलने की उम्मीद से किसानों ने आलू उत्पादन बढ़ा दिया। पर हुआ वैसा ही जैसा साल दो साल में होता है। फसल आते ही आलू के दाम एकाएक गिर गए। अच्छी कीमत न मिलने के कारण किसान कुछ समय तक आलू कोल्ड स्टोरेज में रखना पसंद करते हैं ताकि बाद में अच्छी कीमत मिल सके। लेकिन देश में आलू भण्डारण के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है जिससे किसान आसानी से आलू कोल्ड स्टोरेज में भी नहीं रख सकते। नतीजा, किसान औने-पौने दाम पर आलू बेचने के लिए मजबूर हैं। दरअसल आलू उत्पादन से किसानों को तत्काल नकद राशि मिल जाती है। इसलिए किसानों के लिए यह लाभ की खेती मानी जाती है और पूरे देश के किसान आलू की खेती करते हैं।
इसका अनुमान इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि १९६० से २००६ के बीच आलू उत्पादन में ८५० प्रतिशत तक की वृद्धि हुई। आलू उत्पादन में भारत का विश्व में चीन और रूस के बाद तीसरा स्थान है। भारत प्रतिवर्ष औसतन ३०० लाख टन आलू उत्पादन करता है। भारत में आलू उत्पादन की तुलना में उपभोग बहुत कम होता है। वैश्विक स्तर पर जहाँ ३३ किलोग्राम प्रति व्यक्ति उपभोग होता है वहीं भारत में प्रति व्यक्ति उपभोग १६ से १८ किलोग्राम ही है। इस आधार पर देश की जरूरत २०० लाख टन है। जबकि उत्पादन इससे काफी अधिक। इसलिए आलू अच्छी खासी मात्रा में निर्यात किया जाता है। दो सालों से उत्पादन अच्छा हो रहा है। इस साल उत्पादन ३२७ लाख टन होने का आकलन है जबकि गत वर्ष उत्पादन ३१४ लाख टन था। अधिकांश आलू नवंबर तक कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है। पर देश में कोल्ड स्टोरेज की भारी कमी है। देश में लगभग ३५०० कोल्ड स्टोरेज हैं जिनमें अधिकांश हिस्सा निजी क्षेत्र का है। यानी सरकार कोल्ड स्टोरेज बनाने के प्रति कभी भी सजग नहीं रही है। सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाले उत्तरप्रदेश में १९०० कोल्ड स्टोरेज हैं। वहीं सबसे ज्यादा किसानों को इस समस्या से दो-चार होना पड़ता है जिनकी क्षमता ९७ लाख टन आलू रखने की है जबकि अनुमान है कि प्रदेश में इस बार आलू उत्पादन १२५ लाख टन से अधिक होगा। आलू उत्पादन के दूसरे सबसे बड़े राज्य पश्चिम बंगाल में महज ३९० कोल्ड स्टोरेज हैं। औसतन ५२ लाख टन आलू उत्पादन करने वाले पश्चिम बंगाल में इस साल लगभग १०० लाख टन फसल होने का अनुमान है जो कि गत वर्ष के ५५ लाख टन से लगभग दोगुना है। कोल्ड स्टोरेज अभी से भर गए हैं। परिणाम यह है कि बंगाल के कई इलाकों के किसान आलू एक रुपए किलो बेचने को मजबूर हो रहे हैं। आगरा के किसान आलू १.५० रुपए प्रति किलो बेच रहे हैं। अभी तक देश में आलू के अधिकतम दाम ४२० रुपए क्ंिवटल तक ही गए हैं जबकि आलू उत्पादन की औसत कीमत ३५० रुपए प्रति क्विंटल आती है। |
2 comments:
अच्छी कोशिश
are bhai ye sun kar to apni kismat par rona aata he
kya hal he desh ka
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
Post a Comment