Wednesday, August 27, 2008

कश्मीर और अमरनाथ जमीन ...........

धर्म के आयने से देखना हो सकता है खतरनाक
कश्मीर का मुद्दा एक बार फ़िर चर्चा में हैकुछ लोग इसे हिंदू मुस्लिम का रंग दे रहे हैंकश्मीर की आजादी का सवाल हो या अमरनाथ की जमीन, दोनों को धरम की नजर से देखने पर हम समस्या के समाधान तक नही पहुँच सकतेअमरनाथ की यात्रा कई वर्षों से चल रही जबकि श्रीन बोर्ड को बने मात्र वर्ष हुए हेंयानी कश्मीर के मुस्लिम वर्षोँ से यात्रा को सफल बनाने में अपना सहयोग देते रहे हैंजमीन का मामला और आजादी का मामला भी धर्म से नही जुडा हैभाजपा के नेता मुख्तार अब्बास नकवी एक मुस्लिम हैं जो कश्मीर को भारत से आजाद करने के खिलाफ हैं और जमीन के मुद्दे पर जम्मू के साथ हैंशेख अब्दुल्ला, उमरअब्दुल्ला, मेहबूबा मुफ्ती भले ही बोर्ड को जमीन देने के पक्श में हों लेकिन कश्मीर को भारत से आजाद करने के विचार को वे ग़लत मानते हैं
दूसरी और कई हिंदू हैं जो जमीन के मुद्दे पर कश्मीर की अवाम के साथ ही नही बल्कि कश्मीर को आजाद करने में ही भारत और कश्मीर का भला समझते हैंहिन्दुस्तान टाईम्स के पूर्व संपादक वीर सांघवी, दि सन्डे इंडियन के संपादक अरिंदम चौधरी , लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधती रॉय इसमें प्रमुख हैंयही नही फ़िल्म मेकर राम काक जैसे कश्मीरी पंडित भी कश्मीर की आजादी की जैसी ही बात करते है
ऐसी स्थिति में कश्मीर के मामले को सांप्रदायिक रंग देना देश के लिए घातक हो सकता हैयह कश्मीर के मुद्दे का समाधान तो नही होने देगा साथ में पुरे देश में अशांति फेला देगाइसे सांप्रदायिक रंग देने से इसकी आग मेरठ, अलीगढ़, मुंबई, और गुजरात के कई इलाकों में फ़ैल सकती हैयह नहीं भूला जाना चाहिए की यह चुनावी वर्ष है और धर्म की राजनीती करने वाले लोगों का हित इसी में है की यह मुद्दा धार्मिक बने और लंबे समय तक चलता रहेइस मुद्दे को दिल्ली की सत्ता कब्जाने के लिए सीडी के रूप में इस्तेमाल करें इसलिए देश के सचेत नागरिकों का दायित्व बनता है की वे हर मामले मैं राय रखे, किसी भी पक्ष में हों लेकिन धर्म के आधार पर नहीं बल्कि सही और ग़लत के आधार पर।यही समय की मांग है।

1 comment:

Satyajeetprakash said...

भैया,
सिंघवी, चौधरी और राय बु्द्धि के बड़े-बड़े बट वृक्षों के नाम हैं, इन बट वृक्षों ने अपना पत्ता एक बार भी हिलने नहीं दिया जब भारत सरकार ने कश्मीरियों को अरबों खरबों रुपये का अनुदान(पैकेज दिया), उस समय उन्हें कहना चाहिए न कि हिंदुस्तान की जनता के टैक्स के पैसे को यूं न गंवाओ, कश्मीर को आजाद कर दो.
क्या मिलता उस कश्मीर से हिंदुस्तान को. एक फूटी कौड़ी क्या. हमारे दिए खाते हैं और हमीं पर कुत्ते की तरह भौंकते हैं, पाकिस्तानी झंडा लहराते हैं, हिंदुस्तान मुर्दाबाद का नारे लगाते हैं. उन अलगाववादी लोगों ने घाटी से कश्मीरी पंडितों को भगा दिया.
ये बड़े-बड़े बुद्धि वृक्ष किसी देश जोड़ने की बात तो नहीं करते देश तोड़ने में आगे रहेंगे.
जहां सांप्रदायिकता की बात है, मुसलमानों को आरक्षण दोगे, जम्मू को दरकिनार कर अलगाववादियों को खुश करने के लिए पैकेज दोगे तो सांप्रदायिकता स्वत. बढ़ेगी.