Saturday, March 27, 2010

भगवान का मंदिर तोड़ आडवाणी खुश हुये थे .....

क्या लिखना, भगवान आडवाणी का भला करे.......

3 comments:

संजय बेंगाणी said...

सबको सदबुद्धी देना प्रभू.

वैसे बाबरी में नमाज नहीं पढ़ी जाती थी अतः उसे भगवान का घर नहीं कहा जा सकता था.

कृष्ण मुरारी प्रसाद said...

धर्म के जानकार लोगों से माफी सहित ....
धर्म के बारे में लिखने ..एवं ..टिप्पणी करने बाले.. तोता-रटंत.. के बारे में यह पोस्ट ....मेरा कॉमन कमेन्ट है....
http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_27.html

kunwarji's said...

WO KAAM HUAA HI KYON THA, YE BHI VICHAAR KARNA CHAHIYE!

KUNWAR JI,