भारत में शाकाहारी वर्ग की संख्या सबसे ज्यादा है। देश की खाद्य शैली में दाल प्रोटीन का सबसे बड़ा स्रोत है। पर बीते सालों में जिस गति से दालों की कीमतें बढ़ी हैं आम आदमी की ही नहीं बल्कि मध्य वर्ग की थाली से भी दाल दूर होती गई है। आसमान छूती कीमतों को नियंत्रित करने में सरकार कई प्रयासों के बावजूद असफल रही। पर दाल संकट की छाया केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी द्वारा प्रस्तुत हाल के बजट में भी देखने को मिली। बजट में दलहन व तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए विशेष बजट का प्रावधान किया गया है। दरअसल, भारत दुनिया का सबसे बड़ा दाल उत्पादक देश होने के साथ-साथ सबसे बड़ा उपभोक्ता देश भी है। फिर भी उत्पादित दाल समुचित आपूर्ति के लिए पर्याप्त नहीं होती और देश को विदेश से आयात पर निर्भर रहना पड़ता है।
देश में दाल की खपत लगभग १८० लाख टन है जबकि उत्पादन क्षमता १५० लाख टन तक ही सीमित है। जिस वजह से ३० लाख टन से अधिक दाल आयात करनी पड़ती है। १९९४ में जहां देश ५.८ लाख टन दाल आयात करता था वहीं २००९ में दाल आयात २३ लाख टन पहुंच गया है। गौर करने वाली बात यह है कि देश में बढ़ती जनसंख्या के साथ ही प्रति वर्ष ५ लाख टन दाल की खपत बढ़ रही है। यदि घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए अभी से प्रयास नहीं किए गए तो २०१२ तक देश को प्रतिवर्ष ४० लाख टन दाल आयात करनी पड़ेगी।
घरेलू उत्पादन में कमी और विदेश से ऊंचे भाव में दाल आयात करने के कारण ही दाल की कीमतें लगातार बढ़ी हैं। २००९ में ही दाल की कीमत लगभग दोगुनी हो गई। इसका परिणाम है कि घरों का बजट दाल का खर्च वहन नहीं कर पा रहा है। दाल का उपभोग निरंतर घट रहा है। ४० सालों में प्रति व्यक्ति उपभोग २७ किग्रा प्रतिवर्ष से घट कर ११ किग्रा रह गया है। जो स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद खतरनाक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की सिफारिश है कि प्रति व्यक्ति प्रति दिन ८० ग्राम दाल उपभोग होना चाहिए यानी स्वास्थ्य की दृष्टि से प्रतिवर्ष २९ किग्रा से ज्यादा। फिलहाल सुखद संकेत यह है कि दलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने अतिरिक्त धन आंवटित किया।
बजट में वर्षा सिंचित क्षेत्रों में ६०,००० दलहल एवं तिलहन ग्राम बनाने की घोषणा की गई है। हालांकि देश में दाल उत्पादन जिस स्तर पर पहुंच गया है उसमें एक झटके में सुधार नहीं होगा। सरकार की मंशा तभी पूरी हो सकती है जब वह किसानों को दाल उत्पादन में लाभ दिखा सके और किसान दाल की खेती की ओर आकर्षित हों।