यह लेख २० दिसम्बर को नईदुनिया में छप चुका है ।
दक्षिण एशिया के ४६ प्रतिशत, सब सहारा अफ्रीका के २८ प्रतिशत, दक्षिण पूर्वी एशिया के २५ प्रतिशत और विकासशील देशों के २६ प्रतिशत ५ वर्ष से कम उम्र के बच्चों का वजन सामान्य वजन से कम है। विश्व में भूखे गरीबों की संख्या लगभग १ अरब है। यानि १५ प्रतिशत आबादी। दूसरी ओर विश्व के १.६ अरब लोग यानि २५ प्रतिशत आबादी ओवरवेट है। अंडरवेट और ओवरवेट की समस्या साथ - साथ बढ़ रही है। विश्व की आबादी का एक बढ़ा हिस्सा जहाँ अपना वजन घटाने के लिए डायटिंग करता है वहीं आबादी का एक हिस्सा दिन रात कमरतोड़ म्हणत कर दो जून की रोटी का जुगाड़ भी नही कर पाता।
अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश तो कहते हैं की चीन और भारत में बढ़ता उपभोग अन्न संकट का कारन है। जबकि तथ्य बताते है कि चीन और भारत में हाल के वर्षों में मध्य वर्ग के उपभोग में परिवर्तन आने के बावजूद अमेरिकन नागरिक उपभोग के मामले में सबसे आगे हैं।
एक भारतीय एक वर्ष में जहाँ १७८ किलोग्राम अनाज खाता है वहीं अमेरिकी नागरिक एक वर्ष में १०४० किलोग्राम अनाज का उपभोग करता है। चीन कि तुलना में भी अमेरिकी उपभोग लगभग तीन गुना है। किसी देश के नागरिक ज्यादा उपभोग करते हैं तो इसमें किसी को आपत्ति नही होनी चाहिए। लेकिन जब विश्व में व्याप्त भूख मुनाफे का कारोबार बन जाए तो उसे अमानवीयता ही कहा जाएगा।
विश्व में छाये आन संकट के बावजूद कृषि व्यापार में संलग्न कम्पनियों की आय बढ़ी तेजी से बढ़ रही है। गत तीन वर्षों के इनकी आय के आंकडे चोंकाने वाले हैं। अमेरिका की बीज कारोबार करने वाली कंपनी मोनसेंटो कि शुद्ध आय २००५ में २५५० लाख अमेरिकी डॉलर थी। जो २००६ में ६८९० लाख डॉलर और २००७ में तीन गुना बढ़कर ९९३० लाख डॉलर हो गई। सिंजेता कि आय २००५ में ६२२० लाख डॉलर से २००७ में तीन गुना बढ़कर ११०९० लाख डॉलर हो गई।
आर्थिक संकट के दौर में चालू वित्त वर्ष में जहाँ सभी कंपनियों के मुनाफे में कमी आ रही है, इनके कारोबार में कोई नकारात्मक असर नही पढ़ रहा है। चालू वित्त वर्ष कि तीसरी तिमाही में सिंजेंता ने १०५०० लाख डॉलर मुनाफा अर्जित किया जो पिछले वर्ष कि इसी अवधि कि तुलना में १३८ प्रतिशत अधिक है।
खाद्द्यान संकट को देखते हुए मोनसेंटो ने कहा है कि वह २०३० तक ऐसे बीज विकसित कर लेगा जिनसे ३० प्रतिशत कम पानी के उपयोग से दोगुना उपभोग करना सम्भव होगा। परन्तु सवाल यह है कि जब खाद्द्यान संकट मुनाफा कमाने का अच्छा माध्यम बन जाए तब भला संकट का समाधान कौन निकलना चाहेगा।